ईरान-इसराइल तनाव पर ट्रंप-पुतिन की ‘जन्मदिन कॉल’, बधाई कम, बम ज्यादा

हुसैन अफसर
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस बार एक बेहद “राजनीतिक” जन्मदिन मुबारकबाद मिली। बधाई देने वाले थे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन। पर फोन कॉल में “हैप्पी बर्थडे” गाने की बजाय दोनों नेताओं ने मिलकर दुनिया की सबसे ज्वलंत समस्या – ईरान-इसराइल तनाव – पर करीब एक घंटे तक गहन चर्चा की। ट्रंप ने यह जानकारी अपने प्यारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर बड़े उत्साह से शेयर की।

ईरान-इसराइल तनाव पर ट्रंप-पुतिन की ‘जन्मदिन कॉल’, बधाई कम, बम ज्यादा

ट्रंप का ट्रूथ सोशल बुलेटिन

ट्रंप ने लिखा:
“पुतिन ने मुझे जन्मदिन की बधाई दी, लेकिन असल बात तो ईरान थी – एक ऐसा देश जिसे पुतिन बहुत अच्छे से जानते हैं।”
यह बयान ऐसे दिया गया जैसे पुतिन कभी ईरान में पीजी कर चुके हों।

“ईरान बहुत बात करता है” – ट्रंप

बातचीत के दौरान ईरान पर लंबा विमर्श हुआ। ट्रंप और पुतिन दोनों ही मानते हैं कि अब इसराइल-ईरान युद्ध को ब्रेक लगाना चाहिए। ट्रंप ने साफ कहा,
“मैंने पुतिन से कहा – तुम्हारी भी लड़ाई अब खत्म होनी चाहिए।”
यानी ट्रंप ने एक ही कॉल में मिडिल ईस्ट और ईस्टर्न यूरोप दोनों को डिसकनेक्ट करने का सुझाव दे डाला।

क़ैदियों की अदला-बदली पर भी आई बात

बातचीत में यूक्रेन-रूस की क़ैदी अदला-बदली योजना भी छेड़ी गई। ट्रंप बोले, “दोनों देशों में बड़ी संख्या में क़ैदियों की अदला-बदली हो रही है।” जैसे कोई फुटबॉल ट्रांसफर विंडो चल रही हो।

इसराइल-ईरान का युद्ध: अब ‘ओपन वार’ मोड में

इसराइल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े ठिकानों को निशाना बनाने का दावा किया है। उधर, ईरान की IRGC ने चेतावनी दी है – “अगर हम पर वार करोगे, तो बम से जवाब मिलेगा, ट्वीट से नहीं।”
यानी Middle East में शांति का रिमोट अब ट्वीट्स से नहीं, मिसाइलों से ऑपरेट हो रहा है।

पुतिन: ईरान को “अच्छी तरह” जानते हैं?

ट्रंप का दावा कि “पुतिन ईरान को अच्छी तरह जानते हैं” – इसपर अब मीम इंडस्ट्री को नई सामग्री मिल गई है। शायद अगली Truth Social पोस्ट में ट्रंप यह भी बता दें कि पुतिन ने ईरान के साथ कभी ‘दाल चावल’ भी खाया है।

बर्थडे कॉल हो, तो ऐसी

डोनाल्ड ट्रंप के इस अनोखे बर्थडे कॉल में जितनी ग्लोबल पॉलिटिक्स थी, उतना शायद उनके केक में क्रीम भी नहीं रही होगी। जन्मदिन की बधाई के साथ साथ युद्ध, क़ैदी, मिसाइल और शांति वार्ता – ऐसा कम्बो सिर्फ ट्रंप के लिए ही संभव है।

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